motivation story hindi
एक बहुत बड़े दानवीर हुए रहीम
उनकी ये एक खास बात थी के जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे । ये बात सभी को अजीब लगती थी..के ये रहीम कैसे दानवीर है ये दान भी देते है और इन्हें शर्म भी आती है । ये बात जब कबीर जी तक जब पहुंची तो उन्होने रहीम को चार पंक्तिया लिख कर भेजी जिसमे लिखा था।

Related Post : 3 Best short Stories with moral in Hindi | प्रेरणादायक लघु कहानियाँ
ऐसी देनी देन जु
कित सीखे हो सेन,
ज्यों ज्यों कर ऊंचो करें
त्यों त्यों नीचे नैन।
इसका मतलब था के रहीम तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो । जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते है वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यू झुक जाते है।रहीम ने इसके बदले में जो जवाब दिया वो जवाब इतना गजब का था के जिसने भी सुना वो रहीम का भक्त हो गया इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नही दिया। रहीमजी ने जवाब में लिखा
के देंन हार कोई और है
भेजत जो दिन रैन,
लोग भरम हम पर करें
तासो नीचे नैन।
मतलब देने वाला तो कोई और है वो मालिक है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है । परन्तु लोग ये समझते है के मै दे रहा हु रहीम दे रहा है ये विचार कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आँखे नीचे झुक जाती है ।
—-🌹🌹🙏🙏————————–🌹🌹
motivation story hindi
सही सोच का नतीजा

🙏🏻🌹 👁❗👁 🌹🙏🏻
कहा जाता है कि जितनी बडी सोच हमारी होगी उतना ही ज्ञान का विस्तार भी होगा। यानी हमारी सोचने समझने की शक्ति अन्य लोग से अधिक होगी। जिससे हम हर समस्या को आसानी से पार कर सकते है।
एक बार एक गांव मे एक सरपंच जी रहते थे उनकी प्रखर बुद्धि से उन्हे जाना जाता था। पूरा गांव उनका सम्मान करता था। तथा गांव की खुशहाली के लिए सरपंच जी खूब मेहनत करते थे। यही नही दूर दूर से भी लोग उनके पास न्याय मांगने आते थे।
एकबार दूर गांव से उनको मिलने एक व्यक्ति आता है और कहता है कि मैने किसी व्यक्ति को रात मे रहने के लिए जगह दी थी। किन्तु वह कीमती चीज लेकर भाग गया।
सरपंच जी कहते है कि उस व्यक्ति को और जिसने उसे पकड़ा उसे यहां पेश करो। दूसरे दिन दोनों को पेश किया जाता है । सरपंच जी पहले अतिथि से पूछते है।कि क्या तुमने चोरी की है। वह कहता है नही मै तो आराम से कमरे मे सो रहा था मैने चोरी की आवाज सुनी तो चोर के पीछे भागा और मुझे ही दोशी बताया गया।
फिर दूसरे कैदी से पूछते है जो की गांव का ही चौकीदार था। वह कहता है कि मैने इसे भागते हुए देखा तभी मैने इसको पकडा। सरपंच की कुछ समझ मे नही आ रहा था। उन्हे दूसरे दिन आने को कहा लेकिन दूसरे दिन भी कुछ न हुआ।
फिर सरपंच जी ने तरीका सोचा और कहा कि गांव के बाहर एक बक्सा पडा है तुम दोनों उसे मेरे पास लादो तो तुम दोनों का गुनाह माफ हो जायेगा। दोनों दौड़ते हुए जाते है और दोनो चले जाते है बक्सा लाते समय दोनो बाते करते है कि तू गांव का चौकीदार है तो फिर चोरी क्यों करता है।
तबतक चौकीदार कहता है कि मै तो चोरी कर रहा था तो तुमने मुझे पकडा क्यों फिर दोनों सरपंच के पास पहुच जाते है और कहते है इसमे इतना भारी क्या है।
सरपंच जी बक्सा खोलते है, तो उससे एक आदमी निकलता है । वह आदमी सबकुछ कहता है जो उसने सुना था। आखिर चौकीदार को सजा होती है और अतिथि को सम्मानित किया जाता है।
आखिर सरपंच जी की सोच ने एक सही फैसला सुनाया जिससे वह अतिथि निर्दोष साबित हुआ।
इसीलिए कहा गया है कि सोच बडी होनी चाहिए उससे हर समस्या के हल निकल जाता है
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏
Related Post : THE OLDEST JOKE KNOWN TO MAN|(मनुष्य को ज्ञात सबसे पुराना चुटकुला)
motivation story hindi
*पर-निंदा के दुष्परिणाम*

Related Post : Romantic Love Shayari in Hindi | मोहब्बत भरी शायरी
राजा पृथु एक दिन सुबह-सुबह घोड़ों के तबेले में जा पहुँचे। तभी वहाँ एक साधु भिक्षा मांगने आ पहँचा। सुबह-सुबह साधु को भिक्षा मांगते देख पृथु क्रोध से भर उठे। उन्होंने साधु की निंदा करते हुये, बिना विचारे तबेले से घोड़े की लीद उठाई और उसके पात्र में डाल दी। साधु भी शांत स्वभाव का था, सो भिक्षा ले वहाँ से चला गया और वह लीद कुटिया के बाहर एक कोने में डाल दी।
कुछ समय उपरान्त राजा पृथु शिकार के लिये गये। पृथु ने जब जंगल में देखा कि, एक कुटिया के बाहर घोड़े की लीद का बड़ा सा ढेर लगा हुआ है। उन्होंने देखा कि, यहाँ तो न कोई तबेला है और न ही दूर-दूर तक कोई घोड़े दिखाई दे रहे हैं। वह आश्चर्यचकित हो कुटिया में गये और साधु से बोले, *”महाराज ! आप हमें एक बात बताइये, यहाँ कोई घोड़ा भी नहीं, न ही तबेला है, तो यह इतनी सारी घोड़े की लीद कहा से आई ?”*
साधु ने कहा, *” राजन् ! यह लीद मुझे एक राजा ने भिक्षा में दी है। अब समय आने पर यह लीद उसी को खानी पड़ेगी।”*
यह सुन राजा पृथु को पूरी घटना याद आ गई। वे साधु के पैरों में गिर क्षमा मांगने लगे। उन्होंने साधु से प्रश्न किया, *हमने तो थोड़ी-सी लीद दी थी, पर यह तो बहुत अधिक हो गई ?*
साधु ने कहा, *हम किसी को जो भी देते हैं, वह दिन-प्रतिदिन प्रफुल्लित होता जाता है और समय आने पर हमारे पास लौटकर आ जाता है, यह उसी का परिणाम है।*
यह सुनकर पृथु की आँखों में अश्रु भर आये। वे साधु से विनती कर बोले, *”महाराज ! मुझे क्षमा कर दीजिये। मैं आइन्दा ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा। कृपया कोई ऐसा उपाय बता दीजिये, जिससे मैं अपने दुष्ट कर्मों का प्रायश्चित कर सकूँ।”* राजा की ऐसी दु:खमयी हालत देखकर साधु बोला, *”राजन् ! एक उपाय है। आपको कोई ऐसा कार्य करना है, जो देखने में तो गलत हो, पर वास्तव में गलत न हो।* जब लोग आपको गलत देखेंगे, तो आपकी निंदा करेंगे। जितने ज्यादा लोग आपकी निंदा करेंगे, आपका पाप उतना हल्का होता जायेगा। *आपका अपराध निंदा करने वालों के हिस्से में आ जायेगा।*
यह सुनकर राजा पृथु ने महल में आकर काफी सोच-विचार किया और अगले दिन सुबह से शराब की बोतल लेकर चौराहे पर बैठ गये। सुबह-सुबह राजा को इस हाल में देखकर सब लोग आपस में राजा की निंदा करने लगे कि, कैसा राजा है ? कितना निंदनीय कृत्य कर रहा है, क्या यह शोभनीय है ? आदि-आदि ! निंदा की परवाह किये बिना राजा पूरे दिन शराबियों की तरह अभिनय करते रहे। इस पूरे कृत्य के पश्चात जब राजा पृथु पुनः साधु के पास पहुँचे, तो लीद के ढेर के स्थान पर एक मुट्ठी लीद देख आश्चर्य से बोले, *”महाराज ! यह कैसे हुआ ? इतना बड़ा ढेर कहाँ गायब हो गया ?”*
साधू ने कहा, *”यह आपकी अनुचित निंदा के कारण हुआ है राजन् ! जिन-जिन लोगों ने आपकी अनुचित निंदा की है,, आपका पाप उन सबमें बराबर-बराबर बंट गया है।*
फिर राजा बोले, *” महाराज, फिर ये मुट्ठी भर बचा क्यूँ?? ये क्यूँ नहीं बंटा??”*
तो फिर ऋषि बोले, *”राजन, ये तुम्हारा कर्म है। जितना तुमने मेरे भिक्षा पात्र मे मेरे खाने के लिए दिए थे उतना तो तुम्हें खाना ही पड़ेगा। “*
कोई कितना भी उपाय, दान, पुण्य करले उसका कर्म दोष कट तो जाएगा पर उसका मूल नष्ट नहीं होगा… उतना तो भरना ही पड़ेगा..
जब हम किसी की बेवजह निंदा करते हैं, तो हमें उसके पाप का बोझ भी उठाना पड़ता है। तथा हमें अपने किये गये कर्मों का फल तो भुगतना ही पड़ता है। अब चाहे हँसकर भुगतें या रोकर। *हम जैसा देंगे, वैसा ही लौटकर वापिस आयेगा।*
*दूसरे की निंदा करिये और अपना घड़ा भरिये।*……
धन्यवाद !
motivation story hindi
💐💐अच्छी सोच 💐💐
एक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति है जो बहुत महान हो लेकिन उसे दुनिया वाले नहीं जानते हो?’

विद्वान ने राजा से विनम्र भाव से मुस्कुराते हुये कहा, ‘हम दुनिया के ज्यादातर महान लोगों को नहीं जानते हैं।’ दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो महान लोगों से भी कई गुना महान हैं।
राजा ने विद्वान से कहा, ‘ऐसे कैसे संभव है’। विद्वान ने कहा, मैं आपको ऐसे कई व्यक्तियों से मिलवाऊंगा। इतना कहकर विद्वान, राजा को लेकर एक गांव की ओर चल पड़े। रास्ते में कुछ दुर पश्चात् पेड़ के नीचे एक बुढ़ा आदमी वहाँ उनको मिल गया। बुढ़े आदमी के पास एक पानी का घड़ा और कुछ डबल रोटी थी। विद्वान और राजा ने उससे मांगकर डबल रोटी खाई और पानी पिया।
जब राजा उस बूढ़े आदमी को डबल रोटी के दाम देने लगा तो वह आदमी बोला, ‘महोदय, मैं कोई दुकानदार नहीं हूँ। मैं बस वही कर रहा हूँ जो मैं इस उम्र में करने योग्य हूँ। मेरे बेटे का डबल रोटी का व्यापार है, मेरा घर में मन नहीं लगता इसलिये राहगिरों को ठंडा पानी पिलाने और डबल रोटी खिलाने आ जाया करता हूँ। इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है।
विद्वान ने राजा को इशारा देते हुए कहा कि देखो राजन् इस बुढ़े आदमी की इतनी अच्छी सोच ही इसे महान बनाती है।
फिर इतना कहकर दोनों ने गाँव में प्रवेश किया तब उन्हें एक स्कूल नजर आया। स्कूल में उन्होंने एक शिक्षक से मुलाकात की और राजा ने उससे पूछा कि आप इतने विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं तो आपको कितनी तनख्वाह मिलती है। उस शिक्षक ने राजा से कहा कि महाराज मैं तनख्वाह के लिये नहीं पढ़ा रहा हूँ, यहाँ कोई शिक्षक नहीं थे और विद्यार्थियों का भविष्य दाव पर था इस कारण मैं उन्हें मुफ्त में शिक्षा देने आ रहा हूँ।
विद्वान ने राजा से कहा कि महाराज दूसरों के लिये जीने वाला भी बहुत ही महान होता है। और ऐसे कई लोग हैं जिनकी ऐसी महान सोच ही उन्हें महान से भी बड़ा महान बनाती हैं।
इसलिए राजन् अच्छी सोच आदमी का किस्मत निर्धारित करती है।
इसलिए Friends हमेशा अच्छी बातें ही सोचकर कार्य करें और महान बनें। Friends आदमी बड़ी बातों से नहीं बल्कि अच्छी सोच व अच्छे कामों से महान माना जाता है।
*शिक्षा:- Life में कुछ Achieve करने के लिये और सफलता हासिल करने के लिये बड़ी बातों को ज्यादा Importance देने के बजाय अच्छी सोच को ज्यादा महत्व देना चाहिये क्योंकि आपकी अच्छी सोच ही आपके कार्य को निर्धारित करती है*
🌹🌹🌹🌹🌹
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*
🙏🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏
motivation story hindi
“*माँ की नसीहत*”
एक बार मालदा शहर के बगीचे में एक अफगान व्यापारी वशीर मोहम्मद ने रात बिताई । सवेरे अपना सामान समेटकर वह वहां से चल पड़ा । कई मील पहुंचने के बाद उसे याद आया कि सोने के सिक्कों से भरी थैली तो एक पेड़ की डाली पर ही लटकी रह गई है । धन के बिना व्यापार के लिए भी आगे नहीं जाया जा सकता । दुःखी मन से वह वापस उसी ओर चल पड़ा ।

संयोगवश वीरेश्वर मुखोपाध्याय नामक एक बालक बगीचे में पहुंचा । खेलते-खेलते वह उस पेड़ के पास पहुंच गया, जिस पर सिक्कों से भरी थैली टंगी थी । बालक ने उत्सुकतावश थैली उतारी । उसके अन्दर सोने की मुद्राएँ देखकर वह हैरान रह गया । उसने माली से पूछताछ की तो पता चला कि काबुल का व्यापारी रात गुजारकर यहां से दक्षिण की ओर रवाना हुआ है । यह सुनते ही बालक थैली लेकर दक्षिण की ओर दौड़ चला ।
तभी उसे वशीर मोहम्मद उस ओर आता हुआ नजर आया । बालक ने उसकी पोशाक देखकर अंदाजा लगा लिया कि यही काबुल व्यापारी है । उधर वशीर मोहम्मद ने भी बालक के हाथ में अपनी थैली देखी । बालक बोला, ‘शायद यह थैली आपकी ही है ।’ मैं इसे आपको लौटाने के लिए आ रहा था । एक नन्हे बालक के मुंह से यह सुनकर वशीर मोहम्मद दंग होकर बोला, ‘क्या तुम्हें रुपयों से भरी थैली देखकर लालच नहीं आया ।’ यह सुनकर बालक सहजता से बोला, ‘मेरी माँ मुझे कहानियाँ सुनाते हुए बताया करती है कि दूसरे के धन को मिट्टी के समान समझना चाहिए । चोरी करना घोर पाप है ।’
बालक की बात पर वशीर बोला, ‘धन्य है तुम्हारी माँ ।’
motivation story hindi
___❤️________
‘ भगवान पर विश्वास ‘
एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मे अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।

छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया। उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मे कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता तैरता एक टापू पर पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मे किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?
उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।
अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया। उसको लगा कि इस दुनिया मे भगवान है ही नही। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ……?
फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मे सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा। रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।
यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नही, राक्षस है। तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे बचाने आये हैं। दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत मे है।
अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है। उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे।
उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी.
सीख- दिन चाहे सुख के हों या दुख के, भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते है !!
🍋🌲🌳🌴🌳🌳☘🍀🌿🍋
motivation story hindi
आम का पेड़
कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है|

राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’
राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’
वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा|
यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्याउस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए?
क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनके फल दूसरे लोग खा सकें? जो केवल अपने लाभ के लिए ही काम करता है, वह तो स्वार्थी वृत्ति का मनुष्य होता है|’’
वृद्ध की यह दलील सुनकर राजा प्रसन्न 😊हो गया , आज उसे भी कुछ बड़ा सीखने को मिला था।
😊🌹💫💥👑
🎇⚜️🎇⚜️🎇⚜️🎇⚜️🎇⚜️🎇
motivation story hindi
परमात्मा का आसरा
★ एक बार एक राजा नगर भ्रमण पर निकले तो रास्ते में देखते हैं कि एक छोटा बच्चा माटी के खिलौनों को कान में कुछ कहता फिर तोड़ कर माटी में मिला रहा है।

● राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ I उसने बच्चे से पूछा कि तुम क्या कर रहे हो..? बच्चे ने जवाब दिया कि मैं इन से पूछता हूँ कि कभी राम नाम जपा और माटी को माटी में मिला रहा हूँ। तो राजा ने सोचा इतना छोटा सा बच्चा इतनी ज्ञान की बात …
● राजा ने बच्चे से पूछा कि तुम मेरे साथ मेरे राजमहल में रहोगे ? तो बच्चे ने कहा कि जरुर रहूंगा पर मेरी चार शर्त है I
● १ .जब मैं सोऊं तब तुम्हें जागना पड़ेगा।
● २. मैं भोजन खाऊंगा तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा ।
● ३. मैं कपड़े पहनूंगा मगर तुम्हें नग्न रहना पड़ेगा।
● ४. और जब मैं कभी मुसीबत में होऊँ तो तुम्हें अपने सारे काम छोड़ कर मेरे पास आना पड़ेगा ।
◆ अगर आपको ये शर्तें मंज़ूर हैं तो मैं आपके राजमहल में चलने को तैयार हूँ । राजा ने कहा कि ये तो असम्भव है तो बच्चे ने कहा राजन तो मैं उस परमात्मा का आसरा छोड़ कर आपके सहारे क्यों रहूँ । जो खुद नग्न रह कर मुझे पहनाता है । खुद भूखा रह कर मुझे खिलाता है । खुद जागता है और मैं निश्चिंत सोता हूँ। और जब मैं किसी मुश्किल में होता हूँ तो वो बिना बुलाए मेरे लिए अपने सारे काम छोड़ कर दौड़ा आता है ।
● कहने का भाव केवल इतना ही है कि हम लोग सब कुछ जानते समझते हुए भी बेकार के विषय विकारों में उलझ कर परमात्मा को भुलाए बैठे हैं ,जो हमारी पल पल संभाल रहे हैं उस सतगुरु प्यारे के नाम को भूलाए बैठे हैं। *💞★ ओम शन्ति ★💞*
🎇⚜️🎇⚜️🎇⚜️🎇⚜️🎇⚜️🎇
motivation story hindi
💞💞💞 रात्रि कहानी 💞💞💞
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
एक बार बुरी आत्माओं ने भगवान से शिकायत की कि उनके साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों किया जाता है, अच्छी आत्माएं इतने शानदार महल में रहती हैं और हम सब खंडहरों में, आखिर ये भेदभाव क्यों है, जबकि हम सब आप ही की संतान हैं।
भगवान ने उन्हें समझाया, ” मैंने तो सभी को एक जैसा ही बनाया पर तुम ही अपने कर्मो से बुरी आत्माएं बन गयीं।
पर भगवान के समझाने पर भी बुरी आत्माएं भेदभाव किये जाने की शिकायत करतीं रहीं।

इसपर भगवान ने कुछ देर सोचा और सभी अच्छी-बुरी आत्माओं को बुलाया और बोले, “ बुरी आत्माओं के अनुरोध पर मैंने एक निर्णय लिया है, आज से तुम लोगों को रहने के लिए मैंने जो भी महल या खँडहर दिए थे वो सब नष्ट हो जायेंगे, और अच्छी और बुरी आत्माएं अपने अपने लिए दो अलग-अलग शहरों का निर्माण करेंगी। ”
तभी एक आत्मा बोली, “ लेकिन इस निर्माण के लिए हमें ईंटें कहाँ से मिलेंगी ?”
“जब पृथ्वी पर कोई इंसान सच या झूठ बोलेगा तो यहाँ पर उसके बदले में ईंटें तैयार हो जाएंगी। सभी ईंटें मजबूती में एक सामान होंगी, अब ये तुम लोगों को तय करना है कि तुम सच बोलने पर बनने वाली ईंटें लोगे या झूठ बोलने पर!”, भगवान ने उत्तर दिया ।
बुरी आत्माओं ने सोचा, पृथ्वी पर झूठ बोलने वाले अधिक लोग हैं इसलिए अगर उन्होंने झूठ बोलने पर बनने वाली ईंटें ले लीं तो एक विशाल शहर का निर्माण हो सकता है, और उन्होंने भगवान से झूठ बोलने पर बनने वाली ईंटें मांग ली।
दोनों शहरों का निर्माण एक साथ शुरू हुआ, पर कुछ ही दिनों में बुरी आत्माओं का शहर विशाल रूप लेने लगा, उन्हें लगातार ईंटों के ढेर मिलते जा रहे थे और उससे उन्होंने एक शानदार महल बना लिया। वहीँ अच्छी आत्माओं का निर्माण धीरे -धीरे चल रहा था, काफी दिन बीत जाने पर भी उनके शहर का एक ही हिस्सा बन पाया था।
कुछ दिन और ऐसे ही बीते, फिर एक दिन अचानक एक अजीब सी घटना घटी। बुरी आत्माओं के शहर से ईंटें गायब होने लगीं … दीवारों से, छतों से, इमारतों की नीवों से,… हर जगह से ईंटें गायब होने लगीं और देखते -देखते उनका शहर खंडहर का रूप लेने लगा। परेशान आत्माएं तुरंत भगवान के पास भागीं और पुछा, “ हे प्रभु, हमारे महल से अचानक ये ईंटें गायब क्यों होने लगीं …हमारा महल शहर तो फिर से खंडहर बन गया ?”
भगवान मुस्कुराये और बोले, “ ईंटें गायब होने लगीं!! अच्छा -अच्छा, लगता है जिन लोगों ने झूठ बोला था उनका झूठ पकड़ा गया, और इसीलिए उनके झूठ बोलने से बनी ईंटें भी गायब हो गयीं।
मित्रों,इस कहानी से हमें कई ज़रूरी बातें सीखने को मिलती है, जो हम बचपन से सुनते भी आ रहे हैं पर शायद उसे इतनी गंभीरता से नहीं लेते :
झूठ की उम्र छोटी होती है, आज नहीं तो कल झूठ पकड़ा ही जाता है।
झूठ और बेईमानी के रास्ते पर चल कर सफलता पाना आसान लगता है पर अंत में वो हमें असफल ही बनाता है।
वहीँ सच्चाई से चलने वाले धीरे -धीरे आगे बढ़ते हैं पर उनकी सफलता स्थायी होती है. अतः हमें हमेशा सच्चाई की बुनियाद पर अपने सफलता की इमारत खड़ी करनी चाहिए, झूठ और बेईमानी की बुनियाद पर तो बस खंडहर ही बनाये जा सकते है ।
💞💞💞💞💞💞💞💞💞
motivation story hindi
” मदद ”

उस दिन सबेरे आठ बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला । मैं रेलवे स्टेशन पँहुचा , पर देरी से पँहुचने के कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी । मेरे पास दोपहर की ट्रेन के अलावा कोई चारा नही था । मैंने सोचा कही नाश्ता कर लिया जाए ।
बहुत जोर की भूख लगी थी । मैं होटल की ओर जा रहा था । अचानक रास्ते में मेरी नजर फुटपाथ पर बैठे दो बच्चों पर पड़ी । दोनों लगभग 10-12 साल के रहे होंगे .।बच्चों की हालत बहुत खराब थी ।
कमजोरी के कारण अस्थि पिंजर साफ दिखाई दे रहे थे ।वे भूखे लग रहे थे । छोटा बच्चा बड़े को खाने के बारे में कह रहा था और बड़ा उसे चुप कराने की कोशिश कर रहा था । मैं अचानक रुक गया ।दौड़ती भागती जिंदगी में पैर ठहर से गये ।
जीवन को देख मेरा मन भर आया । सोचा इन्हें कुछ पैसे दे दिए जाएँ । मैं उन्हें दस रु. देकर आगे बढ़ गया तुरंत मेरे मन में एक विचार आया कितना कंजूस हूँ मैं ! दस रु. का क्या मिलेगा ? चाय तक ढंग से न मिलेगी ! स्वयं पर शर्म आयी फिर वापस लौटा । मैंने बच्चों से कहा – कुछ खाओगे ?
बच्चे थोड़े असमंजस में पड़ गए ! जी । मैंने कहा बेटा ! मैं नाश्ता करने जा रहा हूँ , तुम भी कर लो ! वे दोनों भूख के कारण तैयार हो गए । मेरे पीछे पीछे वे होटल में आ गए । उनके कपड़े गंदे होने से होटल वाले ने डांट दिया और भगाने लगा ।
मैंने कहा भाई साहब ! उन्हें जो खाना है वो उन्हें दो , पैसे मैं दूँगा ।होटल वाले ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा..! उसकी आँखों में उसके बर्ताव के लिए शर्म साफ दिखाई दी ।
बच्चों ने नाश्ता मिठाई व लस्सी माँगी । सेल्फ सर्विस के कारण मैंने नाश्ता बच्चों को लेकर दिया । बच्चे जब खाने लगे , उनके चेहरे की ख़ुशी कुछ निराली ही थी । मैंने भी एक अजीब आत्म संतोष महसूस किया । मैंने बच्चों को कहा बेटा ! अब जो मैंने तुम्हे पैसे दिए हैं उसमें एक रु. का शैम्पू ले कर हैण्ड पम्प के पास नहा लेना ।
और फिर दोपहर शाम का खाना पास के मन्दिर में चलने वाले लंगर में खा लेना ।मैं नाश्ते के पैसे चुका कर फिर अपनी दौड़ती दिनचर्या की ओर बढ़ निकला ।
वहाँ आसपास के लोग बड़े सम्मान के साथ देख रहे थे । होटल वाले के शब्द आदर में परिवर्तित हो चुके थे । मैं स्टेशन की ओर निकला , थोडा मन भारी लग रहा था । मन थोडा उनके बारे में सोच कर दु:खी हो रहा था ।
रास्ते में मंदिर आया । मैंने मंदिर की ओर देखा और कहा – हे भगवान ! आप कहाँ हो ? इन बच्चों की ये हालत ! ये भूख आप कैसे चुप बैठ सकते हैं !
दूसरे ही क्षण मेरे मन में विचार आया , अभी तक जो उन्हें नाश्ता दे रहा था वो कौन था ? क्या तुम्हें लगता है तुमने वह सब अपनी सोच से किया ? मैं स्तब्ध हो गया ! मेरे सारे प्रश्न समाप्त हो गए ।
ऐसा लगा जैसे मैंने ईश्वर से बात की हो ! मुझे समझ आ चुका था हम निमित्त मात्र हैं । उसके कार्य कलाप वो ही जानता है , इसीलिए वो महान है !
भगवान हमें किसी की मदद करने तब ही भेजता है , जब वह हमें उस काम के लायक समझता है ।यह उसी की प्रेरणा होती है । किसी मदद को मना करना वैसा ही है जैसे भगवान के काम को मना करना ।
खुद में ईश्वर को देखना ध्यान है ! दूसरों में ईश्वर को देखना प्रेम है ! ईश्वर को सब में और सब में ईश्वर को देखना ज्ञान है….!!✍️
👏👏👏
❣️┅══❁❤️❁══┅❣️
motivation story hindi
🦚🙏🌹🙏🌹🙏🦚🙏🦚🦚🌹🙏🦚🙏
ये मिट्टी किसी को नही छोडेगी
एक राजा बहुत ही महत्त्वाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्त्वाकांक्षा रहती थी उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया!
रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी की पता नही क्या करेंगे इतने महल बनवाकर!
एक दिन राजा नदी के उस पार एक महात्मा जी के आश्रम के वहाँ से गुजर रहे थे तो वहाँ एक संत की समाधी थी और सैनिकों से राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था और उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी पर अंतिम समय मे उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ ज़मीन मे गढ़वा दिया और कहा की जिसे भी वो खजाना चाहिये उसे अपने स्वयं के हाथों से अकेले ही इस समाधी से चोरासी हाथ नीचे सूचना पड़ी है निकाल ले और अनमोल सूचना प्राप्त कर लेंवे और ध्यान रखे उसे बिना कुछ खाये पिये खोदना है और बिना किसी की सहायता के खोदना है अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जायेगी !
राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा और बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला और उन शब्दों को जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गये और सारी अकल ठिकाने आ गई!
उस पर लिखा था हॆ राहगीर संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो और आज मुझे तुम्हारी इस दशा पर बड़ी हँसी आ रही है तुम कितने भी महल बना लो पर तुम्हारा अंतिम महल यही है एक दिन तुम्हे इसी मिट्टी मे मिलना है!
सावधान राहगीर, जब तक तुम मिट्टी के ऊपर हो तब तक आगे की यात्रा के लिये तुम कुछ जतन कर लेना क्योंकि जब मिट्टी तुम्हारे ऊपर आयेगी तो फिर तुम कुछ भी न कर पाओगे यदि तुमने आगे की यात्रा के लिये कुछ जतन न किया तो अच्छी तरह से ध्यान रखना की जैसै ये चोरासी हाथ का कुआं तुमने अकेले खोदा है बस वैसे ही आगे की चोरासी लाख योनियों मे तुम्हे अकेले ही भटकना है और हॆ राहगीर ये कभी न भूलना की “मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी मे मिलना है बस तरीका अलग अलग है”
फिर राजा जैसै तैसे कर के उस कुएँ से बाहर आया और अपने राजमहल गया पर उस शिलालेख के उन शब्दों ने उसे झकझोर के रख दिया और सारे महल जनता को दे दिये और “अंतिम घर” की तैयारियों मे जुट गया!
हमें एक बात हमेशा याद रखना की इस मिट्टी ने जब रावण जैसै सत्ताधारियों को नही बक्सा तो फिर साधारण मानव क्या चीज है इसलिये ये हमेशा याद रखना की मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी मे मिलना है क्योंकि ये मिट्टी किसी को नही छोड़ने वाली है!
#motivationstoryhindi
SEE ALSO :-
10 Secrets of Billionaires mindset in Hindi | अरबपति लोगो की सोच
Most Powerful Elon Musk Quotes in Hindi
Success Quotes in Hindi | जीवन को सफल बनाने वाले विचार
motivation story hindi